आधुनिक युग में जहां तकनीकी विकास और औद्योगीकरण ने हमारी जीवन शैली को सुगम बना दिया है, वहीं पर्यावरण संकट और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां भी बढ़ गई हैं. ऐसे में जैविक खेती एक सुनहरा विकल्प और एक वरदान के रूप में उभरी है जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि हमें स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ भी प्रदान करती है. जैविक खेती का मतलब है ऐसी खेती जो प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करती है और रासायनिक
उर्वरकों, कीटनाशकों और जीन संशोधित बीजों के उपयोग से परहेज करती है. इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा, मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना और खेती की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करना है. भारत में सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है, जिसके परिणाम स्वरुप 2019 में जैविक खेती का क्षेत्रफल 2299 222 हेक्टेयर तक पहुंच गया है.
जैविक खेती में मुख्तय: खाद्यान्न फसलों दलहन तिलहन सब्जियों और बागवानी फसलों के उत्पादन में की जा रही है जिसमें मध्य प्रदेश महाराष्ट्र और उड़ीसा राज्य अग्रणी हैं. जैविक खेती एक प्रकृति अनुकूल खेती प्रणाली है जो सिंथेटिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग को कम से कम करती है या उन्हें पूरी तरह से टालती है

जैविक खेती के तरीके

जैविक खेती के कई तरीके हैं. जिनमें से कुछ का विवरण इस प्रकार है.
मिट्टी का प्रबंधन: मिट्टी का स्वास्थ्य और उर्वरता बनाए रखने के लिए जैविक खाद ( गोबर की खाद,कमपोस्ट खाद, हरी खाद) और फसल अवशेषों का प्रयोग किया जाता है.
कीट और रोग प्रबंधन : इसके लिए जैविक खेती में प्राकृतिक शत्रुओं का उपयोग करके कीटों और रोगों को नियंत्रित किया जाता है.
यह जैविक कीटनाशकों के प्रयोग के माध्यम से भी किया जाता है जो पर्यावरण के अनुकूल होते हैं.

फसल चक्र: विभिन्न प्रकार की फसलों को एक ही खेत में वैकल्पिक रूप से उगाना जिस मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहे और कीटों और रोगों का प्रकोप कम हो.

जैविक उर्वरकों का उपयोग: इस विधा में जैविक खेती में सिंथेटिक उर्वरकों के बजाय जैविक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है, जैसे वर्मी कंपोस्ट जैविक खाद ग्रीन मै न्योर आदि.


संसाधनों का समेकित प्रबंधन: यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितने की अन्य बिंदु. जैविक खेती में पानी और अन्य संसाधनों का उचित प्रबंध अति महत्वपूर्ण है. जिससे स्थाई और कुशल उत्पादन सुनिश्चित हो सके.
जैविक खेती के अनेक लाभ हैं.यह न केवल कृषि और पर्यावरण के फायदेमंद है बल्कि आर्थिक और सामाजिक लाभ भी प्रदान करती है.
सारांश रूप में कहा जा सकता है कि जैविक खेती से मिट्टी के सेहत में सुधार होता है.मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली जैविक खेती में जैविक खाद और अन्य जैविक पदार्थ का उपयोग मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की सक्रियता को बढ़ा देता है. इससे मिट्टी की संरचना और उर्वरता में सुधार होता है. साथ ही रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से परहेज किया जाता है जिससे उत्पादित फैसले पूर्णता प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक होती हैं. पर्यावरण संरक्षण का कार्य भी जैविक खेती के जरिए होता है. यह पर्यावरण के लिए लाभकारी है क्योंकि इसमें वायु जल और मिट्टी में प्रदूषण कम होता है. रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न करने से पर्यावरण संतुलन बना रहता है जैविक खेती अपने जाने से जल संरक्षण होता है जैविक पदार्थ का उपयोग मिट्टी की जलधारन क्षमता को बढ़ाता है जिससे पानी की आवश्यकता में कमी आती है.

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