नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्टिंग के मुद्दे पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र और गोवा के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजा है। कोश्यारी का कहना है कि वह कानून के विद्यार्थी तो नहीं हैं लेकिन लंबे समय तक संसद और विधान मंडल सदस्य में रहे हैं और इतना जानते हैं कि राज्य की कौन संस्था, विभाग कहां रहे इसका निर्णय संसद या विधान मंडल ही करते आए हैं। यदि न्यायालय इस संबंध में निर्णय लेने लगेंगे तो पीआईएल कर्ता किसी भी विभाग, जिला व तहसील आदि की मांग को लेकर न्यायालय पहुंच जाएंगे व इसमें संविधान द्वारा केंद्र या प्रदेश सरकारों को दिए गए अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप की संभावना बढ़ जाएगी।
पत्र में उन्होंने हाईकोर्ट के लिए जनमत संग्रह जैसी प्रथा से बचने का भी सुझाव दिया है। कहा है कि यदि ऐसा हुआ तो भविष्य में इसके दुरूपयोग की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। कोश्यारी ने हाईकोर्ट को शिफ्ट करने के मुद्दे पर 13 मई को सीएम धामी को पत्र भेजने की पुष्टि की। पत्र में कहा है कि हाईकोर्ट ने उच्च न्यायालय को नैनीताल से अन्यत्र स्थानांतरित करने के लिए नए स्थान खोजने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि राज्य बनाते समय विचार विमर्श के बाद देहरादून को तात्कालिक राजधानी और नैनीताल में उच्च न्यायालय बनाने का निर्णय लिया गया। नैनीताल में अंग्रेजों के समय से ही राजभवन, सचिवालय आदि बनाए गए हैं, यह उत्तर प्रदेश की गर्मियों की राजधानी के रूप में भी प्रयुक्त होता रहा है किंतु नए राज्य में नैनीताल को राजधानी बनाने से मंत्रियों, विशिष्ट जनों की अधिकता से स्थानीय पर्यटन व जनजीवन को बाधा पहुंचने की संभावना को देखते हुए यहां क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखकर हाईकोर्ट की स्थापना की गई।

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