देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू करने को लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार की आलोचना कर रहें हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर असम के मुख्यंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर हमला बोला है।
ओवैसी ने कहा “असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य में आयोजित एनआरसी में सूचीबद्ध 12 लाख हिंदुओं को सीएए के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी, लेकिन 1.5 लाख मुसलमानों का क्या? लोग कह रहे हैं कि तुरंत कुछ नहीं होने वाला है. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि चीजों को सामने आने में समय लगता है।”
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने जिस वक्त ये कहा कि एनपीआर और एनआरसी भी लागू किया जाएगा, तब उन्होंने मेरा नाम लिया था। सरकार को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले सभी लोगों को एक ही नजरिये से देखना चाहिए। धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं देनी चाहिए।
नागरिकता संशोधन अधिनियम को ओवैसी ने विभाजनकारी बताया हैं। उन्होंने कहा की सरकार मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक मान रही हैं। ओवैसी ने कहा सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए। सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है? उन्होंने कहा कि एनपीआर एनआरसी के साथ सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को टारगेट करना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है।
अमेरिका समेत कई देशों ने भारत में CAA लागू करने को लेकर चिंता जाहीर की हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर अपनी चिंता जाहीर की हैं। उन्होंने कहा की उनकी नजर भारत में इस कानून को लागू करने के तरीकों पर हैं।