आइए जानते हैं कैसी थी मुख्तार अंसारी की क्रिमिनल हिस्ट्री और कैसा रहा उसका पॉलिटिकल करियर:- 

ऐसे अपराध की दुनिया में रखा कदम
गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. पहली बार मुख्‍तार ने अपराध की दुनिया में साल 1988 में कदम रखा था. 25 अक्टूबर 1988 को आजमगढ़ के ढकवा के संजय प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्‍या की कोशिश का मुकदमा दर्ज कराया था. हालांकि, अगस्‍त 2007 में इस मामले में मुख्‍तार दोषमुक्‍त हो गया था.  

1990 के दशक में बना लिया अपना गैंग
1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने अपना गैंग बना लिया. उसने कोयला खनन, रेलवे जैसे कामों में 100 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया. फिर वो गुंडा टैक्स, जबरन वसूली और अपहरण के धंधे में भी आ गया. उसका सिंडिकेट मऊ, गाजीपुर, बनारस और जौनपुर में एक्टिव था. पूर्वांचल में उस वक्त दो बड़े गैंग थे- ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी गैंग. 

ब्रजेश सिंह गैंग से शुरू हुई दुश्मनी
1990 में गाजीपुर में तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था. इस दौरान उनका मुख्‍तार गैंग से सामना हुआ. यहीं से ब्रजेश सिंह से दुश्‍मनी शुरू हो गई. ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमले भी कराए थे. 

मुख्तार अंसारी के खिलाफ ये है चर्चित केस
-24 जुलाई 1990 को शिवपुर के देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ बड़ागांव थाने में डिकैती और अपहरण का मामला दर्ज कराया. इस मामले में सितंबर 1990 को पुलिस ने कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी. 
-इसके बाद 3 अगस्त 1991 को अवधेश राय हत्‍याकांड में मुख्‍तार अंसारी के खिलाफ चेतगंज थाने में पूर्व विधायक अजय राय ने मुकदमा दर्ज कराया. 
– 23 जनवरी 1997 को अपहरण के मामले में वाराणसी के भेलूपुर थाने में मुख्‍तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया. इस मामले में वह निचली अदालत में दोषमुक्‍त हो चुका है.  
– 6 फरवरी 1998 को भेलूपुर थाने में मुख्तार अंसारी के खिलाफ NSA लगाया गया. 
– 1 दिसंबर 1997 को मुख्‍तार के खिलाफ धमकाने का मामला दर्ज किया गया. 
– 17 जनवरी 1999 को भेलूपुर थाने में मुख्तार के खिलाफ धमकाने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया. 
– 20 जुलाई 2022 को कैंट थाने में आपराधिक साजिश समेत अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया गया. 

कुछ लोगों के बीच थी रॉबिनहुड की इमेज 
मुख्तार अंसारी की मऊ में कुछ लोगों के बीच रॉबिनहुड की इमेज थी. मऊ के लोग कहते हैं कि बतौर विधायक मुख्तार अंसारी ने अपने इलाके में विकास के कई काम किए. सड़कों की मरम्मत कराई. स्कूल बनवाएं. अस्पताल खोले, बिजली-पानी का इंतजाम किया. गरीबों की मदद की. बताया जाता है कि विधायक रहते हुए मुख्तार अंसारी अपने क्षेत्र में विधायक निधी से 20 गुना ज़्यादा पैसा खर्च करता था.

 786 नंबर वाली कारों का काफिला,

मुख्तार अंसारी के काफिले में एक सफेद खुली जिप्सी और 5 से 6 एक रंग की टाटा  टाटा सफारी और सभी पर 786 का नंबर प्लेट रहती थी. जेल में बंद मुख्तार की चाहत थी कि जब वो छूट कर बाहर आएगा तो उसके काफिले में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बिकने वाली एस यू वी “हमर” भी शामिल हो, लेकिन ये शौक अभी तक पूरा ना हो सका. 

मुख्तार अंसारी एक ऐसा नाम था, जिसकी चर्चा होते ही बाहुबली और माफिया डॉन की छवि मन में आ जाती थी. लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि माफिया डॉन बनने से पहले कॉलेज के दिनों में मुख्तार क्रिकेट का बेहतरीन खिलाड़ी होने के साथ-साथ जबरदस्त निशानेबाज भी था. मुख्तार को महंगी गाड़ियों का बहुत शौक था. कॉलेज के दिनों में दोस्तों के बीच लंबू के नाम से मशहूर मुख्तार दोस्तों के साथ बुलेट और जीप की सवारी करते हुए मोहमदाबाद और गाजीपुर की सड़कों पर अक्सर दिख जाता था. 

महंगी गाड़ियों का शौक

मुख्तार जब गैंगस्टर से विधायक बना तो गाड़ियों का यह शौक उसके साथ काफिले की शक्ल में भी दिखने लगा. बदलते दौर के साथ मुख्तार के मारुति जिप्सी के अलावा टाटा सफारी, फोर्ड एंडेवर, पजेरो स्पोर्ट, ऑडी, BMW जैसी गाड़ियों का कलेक्शन खूब रहा. 80 और 90 के दशक में जब मुख्तार के भाई अफजाल विधायक हो चुके थे, तब क्रिकेट खिलाड़ी मुख्तार अंसारी को बुलेट मोटर साइकिल, एंबेसडर कार और जीप से शिकार खेलने का शौक था. 

786 नंबर की गाड़ियां थी पहचान
ये वो दौर था जब मार्केट में मारुति जिप्सी, मारुति कार और वैन जैसी गाड़ियों ने दस्तक दी थी, जिन्हें मुख्तार बड़े ही शौक से चलाता था. 1986 में हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड के बाद जब मुख्तार पहली बार जेल से बाहर आया तो उसके काफिले में उस वक्त की लक्जरी गाड़ियों का काफिला था. मुख्तार अंसारी के काफिले में चलने वाली सभी गाड़ियों का नंबर भी 786 ही रहता था. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *