शिव चरण चौहान
( हिंदी के चर्चित लेखक- कवि)

सहजन अति फूले फले
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सहजन का पेड़ बौराय हुआ है। लगता है यही एक वृक्ष है जो फूलों से लदा पड़ा है। अभी कुछ दिन बाद इसमें फल भी आएंगे। इतने फल आएंगे कि इसकी डालियां झुक जाएंगी।
कविवर रहीम ने सहजन का पेड़ देखकर कहा था
रहिमन अति न कीजिए, गहि रहिए निज कानि।।
सहजन अति फूले फले, तऊ डार पात की हानि।

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सहजन पर विश्व चंद्र शर्मा और रंजना जायसवाल ने भी कविताएं लिखी हैं।
अरे सहजन अपने मर्यादा में रहना सीख ले। मर्यादा तोड़ कर ना फूल ना और ना फलना। जो अपनी मर्यादा भूल जाता है उसका अंत होना निश्चित है। तेरी फलियां इतनी अधिक फूली फली है कि तेरे डाल और पत्तों का ही नुकसान हुआ जा रहा है।
सहजन के पत्ते, फूल और फल के अनेक औषधीय फायदे आयुर्वेद में बताए गए हैं। इसके फूल और फल और पेड़ की छाल बहुत उपयोगी है।
सहजन को तीन सौ रोगों में लाभकारी पाया गया है। इसकी पत्तियों और फलियों में मैग्नीशियम पोटेशियम सोडियम मैग्नीज फास्फोरस आदि पाए जाते हैं।
इसमें 35 तरह के दर्द निवारक गुण पाए गए हैं। इसमें 17 एजिनो एसिड मिलते हैं।
संस्कृत में इसे शिग्रू,कहते हैं। इसके अन्य नाम है भूनगा, सुजना, मुलंग,मोरिंगा
भारत और दक्षिण अफ्रीका में इसके फूलों, पत्तियों और फलियों की सब्जी खाई जाती है। इसका पेड़ 10 मीटर तक ऊंचा हो सकता है। इसलिए इसे लोग काटते रहते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण इस बार सहजन समय से पहले फूल गया है कुछ में तो लंबी-लंबी फलियां आने लगी हैं। संस्कृत के कई ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।

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