हम सभी जानते हैं कि भारत में गर्मियों का मौसम अक्सर सूखे की स्थिति लेकर आता है। ऐसे में, हमारे लिए ऐसी फसलों की खेती करना बुद्धिमानी होगी जो सूखा प्रतिरोधी हों और कम पानी में भी अच्छा उत्पादन दे सकें। आइए, हम कुछ ऐसी ही फसलों और उनकी खेती के तरीकों पर चर्चा करते हैं।

सबसे पहले, बाजरा (पर्ल मिलेट) का उल्लेख करना चाहूँगा। यह एक मजबूत और सूखा सहनशील फसल है जो कम पानी और उच्च तापमान में भी अच्छी पैदावार देती है। बाजरा में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसकी बुवाई जून के महीने में की जा सकती है और यह लगभग 70-80 दिनों में तैयार हो जाती है।

एक अन्य उपयुक्त विकल्प है – मोठ (मोठ बीन)। यह दलहनी फसल न केवल सूखा प्रतिरोधी है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार करती है। मोठ की खेती कम पानी और कम उर्वरकों की आवश्यकता के साथ की जा सकती है। इसकी बुवाई जुलाई-अगस्त में की जाती है और यह लगभग 60-70 दिनों में काटने के लिए तैयार हो जाती है।

ज्वार (सोरघम) भी गर्मियों में उगाई जाने वाली एक लोकप्रिय सूखा प्रतिरोधी फसल है। यह मुख्य रूप से अनाज और चारे के उद्देश्य से उगाई जाती है। ज्वार गर्मी और सूखे के प्रति सहनशील है और कम उर्वरता वाली मिट्टी में भी अच्छा प्रदर्शन करती है। इसकी बुवाई जून-जुलाई में की जाती है और यह लगभग 100-120 दिनों में परिपक्व हो जाती है।

तिल (सीसेमम) भी गर्म और शुष्क स्थितियों में अच्छी तरह से विकसित होने वाली एक फसल है। यह तेल और प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत है। तिल की खेती कम सिंचाई और रासायनिक उर्वरकों के साथ की जा सकती है। इसकी बुवाई मई-जून में की जाती है और यह लगभग 90-100 दिनों में तैयार हो जाती है।

इन फसलों के अलावा, मूंग, उड़द, रागी और कुटकी जैसी अन्य सूखा प्रतिरोधी फसलें भी हैं जिन्हें गर्मियों के मौसम में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

सूखा प्रतिरोधी फसलों की खेती करते समय, कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए। सबसे पहले, मिट्टी की नमी को संरक्षित करने के लिए मल्चिंग और न्यूनतम जुताई जैसी जल संरक्षण तकनीकों को अपनाएं। उचित समय पर और कुशलतापूर्वक सिंचाई करें। फसल अवशेषों को खेत में वापस जोतकर मिट्टी की गुणवत्ता और जल धारण क्षमता में सुधार करें। नियमित अंतराल पर मिट्टी की जाँच करें और आवश्यकतानुसार उर्वरकों का उपयोग करें।

सूखा प्रतिरोधी फसलों की खेती हमारे किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। इन फसलों को अपनाकर, आप न केवल चुनौतीपूर्ण मौसम परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित होगी और आप सूखा प्रतिरोधी फसलों की खेती को प्राथमिकता देंगे।

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