प्रयागराज. सन्डे मेल
सड़कों पर नागरिक अगर समय पर मदद के लिए आगे आएं तो इससे बहुत बड़ा अंतर आ सकता है, खासतौर पर ऐसे देश में जहां हर घंटे सड़क दुर्घटनाओं में 19 लोग अपनी जान गवां देते हैं. सड़क दुर्घटना के तुरंत बाद मिलने वाली सहायता बेहद ही अहम होती है और जीवन और मौत के बीच बड़ा अंतर ला सकती है. यह देखा गया है कि घायलों को पहले घंटे में मदद मिलने पर उनके जीवित रहने की संभावना बढ़ी है. दुर्घटना के बाद के पहले घंटे को गोल्डन ऑवर (Golden Hour) कहा जाता है. विधि आयोग के मुताबिक, तुरंत की गई मदद से सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले 50 फ़ीसदी लोगों को बचाया जा सकता है.

डॉ दिलीप चौरसिया की नेकदिली
शुक्रवार के मध्य रात्रि को पन्नालाल रोड पर रहने वाले मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ दिलीप चौरसिया अपने घर से बाहर कहीं जाने के लिए निकल रहे थे इस समय उन्होंने देखा कि तेज रफ़्तार एक बाइक पर सवार दो लड़के नियंत्रण खो बैठे और असंतुलित होकर सड़क पर गिर पड़े उनमें से एक लड़के के सिर में गंभीर चोट थी और खून बह रहा था जबकि दूसरे के सिर में ऊपरी चोट नहीं थी लेकिन उसकी हालत ज्यादा गम्भीर लग रही थी।
उन्होंने तुरंत एंबुलेंस को फोन किया और दोनों मरीजों को करवट करते हुए प्रारंभिक स्तर पर जो मदद कर सकते थे वह उपलब्ध कराई इसी दौरान लड़कों के घर वाले भी आगे आ गए। डॉ दिलीप चौरसिया ने घरवालों के साथ दोनों लड़कों को स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल में भेज कर उन लोगों का समुचित इलाज सुनिश्चित किया।।
उनके निर्णायक फैसले और तेज़ी से सोचने की क्षमता की वजह से दोनों लड़कों को अस्पताल पहुंचाया जा सका, जहां उसका सफल इलाज हुआ और उसकी जान बच गई।।

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