पिकमाईवर्क देशी-विदेशी डिजिटल कंपनियों को बहुत कम सीएसी पर भुगतान-प्रति-कार्य मॉडल पर ग्राहक दे रही थी। यह काम बड़ी कंपनियों को पसंद आ रहा था तो धीरे-धीरे इनका दायरा बढ़ता गया। आज इनकी पहुंच देश के 120 से भी ज्यादा शहरों में हो गई है। साथ ही इनके साथ तीन लाख से भी ज्यादा गिग वर्कस जुड़ चुके हैँ। मतलब कि इन्होंने तीन लाख से भी ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है। साथ ही कंपनी की आमदनी भी तेजी से बढ़ने लगी।

कैसे मिली स्टार्टअप शुरू करने की प्रेरणा

विद्यार्थी और काजल ने एनबीटी डिजिटल से बातचीत में बताया कि जब वे एमबीए कर रहे थे, उस वक्त वह कॉलेज की प्लेसमेंट टीम में थे। उस समय उन्होंने देखा कि स्टूडेंट्स के प्लेसमेंट को मैनेज करने के लिए कोई टेक्नोलॉजी नहीं है। उन्हें लगा कि एक ऐसा सॉफ्टवेयर होना चाहिए जो कॉलेज और कंपनी दोनों के लिए ही प्लेसमेंट का काम आसान कर सके। इसी चक्कर में उन्होंने साफ्टवेयर बनाया। इससे उनका तो काम हुआ ही, नए स्टार्टअप को जमाने में भी मदद मिली। तभी तो साल 2020 तक उनसे कई आईआईएम, आईआईटी जैसे बड़े इंस्टीट्यूट जुड़ गए।

छोटे शहरों के बेरोजगारों को हुआ ज्यादा फायदा

काजल बताती हैं कि जब उन्होंने टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में कदम रखा तो उन्हें पता चला कि वहां तो प्लेसमेंट के लिए कंपनियां ही इक्का-दुक्का आती है। इस वजह से वहां के अधिकतर स्टूडेंट बेरोजगार ही रह जाते हैं। तभी विद्यार्थी और काजल के मन में यह बात आ गई थी कि इन बेरोजगार लोगों के लिए भी कुछ करना है। इसके बाद दोनों ने 2019 में गिग वर्किंग प्लेटफॉर्म पिकमाईवर्क शुरू किया। अब उनके पास छोटे शहरों से ही ज्यादा कामगार हैं। इससे दोनों को फायदा हो रहा है।

हाल ही में एक मिलियन डॉलर का आया है निवेश

पिकमाईवर्क स्टार्टअप में हाल ही में SOSV’s Orbit Startups की अगुवाई में $1 million का सीड राउंड फंड जुटाया है। इस राउंड में Soonicorn Ventures, Upaya Social Ventures, Blume Founders Fund, Venture Catalyst, Mumbai Angels, 888 Network, Imperier Holdings और WeFounderCircle जैसे इनवेस्टर्स ने इसमें पैसे लगाए हैं।

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