राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है की पूजा पद्धति किसी धर्म का संपूर्ण सत्य नहीं महत्त्व एक अंग है पद्धतियां भले ही अलग-अलग हैं मगर मंजिल सबकी एक नई दिल्ली में सामवेद के उर्दू और हिंदी संस्करण के लोकार्पण के मौके पर भागवत ने यह बात कही लाल किला परिसर में एक भव्य समारोह में यह लोकार्पण हुआ और इस मौके पर भागवत ने कहा किसी भी धर्म का अंतिम लक्ष्य सत्य को प्राप्त करना है पूजा पद्धतियां अलग है सभी अपने तरीके से सत्य की खोज करते हैं मगर मंजिल एक है ऐसे में पूजा पद्धति पर विवाद व्यर्थ है.

उन्होंने आवाहन किया सब की उपासना पद्धति का स्वागत करते हुए अंतिम सत्य को जानना और समझना चाहिए भागवत ने सनातन धर्म के मूल तत्व पर भी चर्चा की कहा इस धर्म में आंतरिक और बाढ़ दोनों तरह के ज्ञान को महत्व दिया गया है वेद सूत्र वाक्य की तरह होते हैं पुणे समझने के लिए उपनिषदों की जरूरत है मूल उद्देश्यों को समझने के लिए गहरे अध्ययन की भी जरूरत है ध्यान रहेगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले कुछ वर्षों से मुस्लिम समुदाय से संवाद स्थापित करने में जुटा हुआ है इसी क्रम में सामवेद के हिंदी और उर्दू संस्कारों को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है 2021 में मोहन भागवत की पुस्तक भविष्य में भारत का भी उर्दू में अनुवाद हो चुका है

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