बोध गया , बिहार
जल यात्रा लेकर पुणे से बिहार पहुंचे यहां जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने Bihar Institute of Public Administration and Rural Development द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों को फाउंडेशन कोर्स के लिए प्रशिक्षण दिया. विशेष आमंत्रण पर वे यहाँ पहुंचे.
जलपुरुष डॉ. राजेन्द्र सिंह ने प्राशसनिक अधिकारियों के साथ चार घंटे लगातार बैठक की। इस बैठक में अधिकारियों को आधुनिक संकट का भारत के शास्त्रों में कैसे समाधान था? यह बताया गया. दुनिया में आज कैसे विस्थापन बढ़ रहा है? आदि विषयों पर बातचीत करते हुए जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, पानी के कुप्रबंधन होने के कारण आज दुनिया में पानी के कई युद्ध चल रहे हैं; लेकिन यह पानी के युद्ध हैं, यह कोई बोलने वाला नहीं। इन युद्ध के पीछे लाभ को जोड़कर ,उसका वर्णन किया जाता है, लेकिन पानी, पर्यावरण, प्रकृति का विनाश युद्ध के अंदर निहित है, वहं नहीं बताया जा रहा है।
जलपुरुष ने आगे कहा कि, तथ्यों को छुपाना अब सरकारों का बड़ा काम हो गया है। सभी सरकारें सत्य को छुपाने की कोशिश करती है और उनके अनुकूल जो होता है, उसको स्वयं भी बोलते हैं और मीडिया से भी बुलवाने का काम हो रहा है। इसलिए दुनिया का मीडिया भी जितने भी दर्जनों युद्ध दुनिया में चल रहे हैं, उन युद्धों को जल का युद्ध नहीं कहता। यह जल के युद्ध इस दुनिया में तब तक चलेंगे जब तक सबको जल उपलब्ध ना हो जाएं। यह युद्ध जीवन, जीविका और जमीर के युद्ध है। जो युद्ध जीवन के लिए होता है, वह अंत तक चलता है और जो युद्ध केवल जमीन के लिए होता है, उसमें समझौते हो जाते हैं, उसमें समाधान के रास्ते निकल आते हैं।
बातचीत के बाद जलपुरुष ने कहा कि, भारत एकमात्र देश है, जो दुनिया में शांति की बात करता है। हमने पिछले साल मार्च 2023, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ में बहुत कोशिश की थी और 22 मार्च 2024 जल शांति दिवस घोषित हुआ था। सरकार ने केवल इसको जल शांति वर्ष घोषित किया लेकिन जल शांति के प्रयास नहीं किए। यह पारिस्थिति वैश्विक स्तर पर और अधिक भयानक बनती जा रही है।
दूसरे सत्र में बोलते हुए जलपुरुष ने कहा कि, हमें यदि बिहार को पानीदार बनाना है, तो सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबंधन करना अत्यंत आवश्यक है।बिहार भगवान का लाडला बेटा है, खूब बारिश होती है, लेकिन वर्षाजल का ठीक से प्रबंध नहीं होने के कारण बाढ़ और सुखाड बढ़ रही है। बिहार को बाढ़-सुखाड़ मुक्त बनना हैं, तो बिहार की सरकार और समाज दोनों मिलकर यह काम करना होगा।
इस अवसर पर चंबल में आयी शांति के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि, आज जहां-जहां के समाज ने सुप्रबंधन किया है, वहां कम पानी में भी समाज पानीदार हो गया है। जो समाज हिंसा के रास्ते पर चलता था, वह अहिंसामय बन गया है।
सत्र में सभी अफसरों ने जलपुरुष राजेन्द्र िंसह जी से सवाल-जवाब किए। सवालों के जवाब देते हुए जलपुरुष जी ने कहा कि, शिक्षा हमारे स्वार्थ पूर्ति के लिए हमें लालची बनाती है। जब किसी को कुछ सीखना होता है, तो वह किसी से भी सीख सकता है, बस सिखाने वाले का भाव गुरु जैसा होना चाहिए, ना कि शिक्षक जैसा। जब विद्या गुरु भाव से ग्रहण की जाती है तो सीखने और सिखाने वाले दोनों समृद्ध बनते हैं। हमारी विद्या में गुरुओं ने जब तक गुरु की भूमिका ठीक से निभाई तब तक भारत दुनिया का गुरु बना रहा था। लेकिन अब हम अपने देश में भी विद्या नहीं बल्कि शिक्षा का विस्तार कर रहे हैं जो विश्व गुरू नहीं बना सकती। शिक्षा का प्रसार और विस्तार जब से हुआ है, तब से हम हमारी विद्या को भूल गए हैं। हमें विद्या और शिक्षा को समझकर दोनों के योग से संपूर्णता के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा। तभी के मन में विश्व गुरु बनने का सपना साकार होगा।