-उप चुनाव की संभावना को देखते हुए सपा नेताओं ने शुरू की टिकट मांगने की तैयारी
-भाजपा के टिकट पर उन्नाव सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं पूजा पाल
हिमांशु भट्ट: कौशांबी संवाददाता
राज्य सभा चुनाव में क्रास वोटिंग करके चायल की सपा विधायक पूजा पाल ने सपाइयों को नई उर्जा दे दी है। खासकर चायल के समाजवादियों का तो चेहरा दमक उठा है। उप चुनाव की संभावना को देखते हुए वह अभी से ही टिकट मांगने की तैयारी करने लगे हैं। उप चुनाव इसलिए क्योंकि, पूजा विधायकी से इस्तीफा देकर उन्नाव से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। राजनीति के गलियारे में इस बात की चर्चा काफी जोरों पर है।
वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूजा पाल के लिए कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं को किनारे कर दिया था। शहर पश्चिमी (प्रयागराज) से लाकर उन्हें कौशांबी की चायल विधानसभा सीट से टिकट दिया था। इससे टिकट मांगने वाले यहां के स्थानीय नेता काफी मायूस हुए थे। इनमें कुछ दिग्गज नेता भी शामिल थे। सपा के टिकट पर पूजा चुनाव जीत गईं तो टिकट की लाइन में लगे तमाम स्थानीय नेताओं को सियासी भविष्य खतरे में नजर आने लगा। उन्हें लग रहा था कि वर्ष 2027 के चुनाव में अब सीटिंग विधायक पूजा का टिकट कटवा पाना संभव नहीं हो सकेगा। शायद यही वजह रही कि कई नेताओं ने दूसरे दलों से समन्वय स्थापित करना भी शुरू कर दिया था। इसी बीच राज्य सभा चुनाव में अखिलेश से की गई पूजा की दगा ने चायल के सपा नेताओं का चेहरा खिला दिया है। नेताओं को पूरा भरोसा है कि उनके मुखिया अखिलेश अब पूजा पाल पर विश्वास नहीं करेंगे। इससे पहले जो चौंका देने वाली चर्चा है वह यह है कि पूजा पाल ने संभवत: इसी शर्त पर क्रॉस वोटिंग की है कि भाजपा उन्हें उन्नाट से लोकसभा का चुनाव लड़ाएगी। यदि पूजा उन्नाव का रुख करती हैं तो फिर चायल सीट पर विधानसभा का उपचुनाव होगा। इसी चुनाव की तैयारी चायल के सपाई कर रहे हैं। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर इसकी झलक भी साफ नजर आ रही है।
गठबंधन के बाद अब पूजा से खतरा
चायल के भाजपाइयों का राजनैतिक दिन अच्छा आता नजर नहीं आ रहा है। वर्ष 2022 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट अपना दल (एस) गठबंधन को सौंप दी थी। इससे टिकट मांगने वाले स्थानीय भाजपा नेताओं को खाली हाथ रहना पड़ा था। अब सीटिंग विधायक पूजा पाल के आने की संभावना भाजपाइयों की धड़कन बढ़ा रही है। उन्हें लग रहा है कि अबकी गठबंधन नहीं हुआ तो भी यदि पूजा भाजपा में शामिल हुईं तो वह रास्ते का कांटा जरुर बनेंगी।
जया पाल पर सबकी नजर
प्रयागराज में पिछले साल 24 फरवरी को दिनदहाड़े मौत के घाट उतारे गए राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की पत्नी जया पाल भी अब अपना सियासी वजूद तलाशने लगी हैं। उनकी नजदीकी भाजपा से होने की चर्चा राजनीतिक गलियारे में काफी जोरों पर हैं। चर्चाओं पर जाएं तो विधायक पूजा पाल को इस बात का डर था कि भाजपा जया को उनके सामने मैदान में उतार सकती है। राज्य सभा चुनाव में पूजा द्वारा क्रॉस वोटिंग किए जाने की एक अहम वजह जया को रास्ते से हटाने का प्रयास किया जाना होना भी कोई बड़ी बात नहीं होगी। बहरहाल अब राजनीति के जानकारों का कहना है कि पूजा से नाराज सपा जया पर भरोसा जता सकती है। जया के साथ भी मानवीय संवेदनाएं और बिरादरी की वोट जुड़ी हुई है। यही वजह है कि अब जया पर सबकी नजर है।
चायल में ये हैं सपा के टिकटार्थी
चंद्रबली सिंह पटेल, गुलाम हुसैन, आनंद मोहन सिंह पटेल, नेपाल पटेल, कैलाश चंद्र केसरवानी, आस्था सिंह पटेल आदि।