विधानसभा के बजट सत्र को छोड़कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अचानक दिल्ली पहुंच गए हैं। जाहिर है कि यहां हाई कमान हाईकमान प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप देने से पहले मुख्यमंत्री की मंशा भी जानना चाहेगा। यह भी तय है की धामी कैम्प के किसी ऊर्जावान चेहरे पर भरोसा जताया जा सकता है।
अन्य राज्यों में हुए बदलावों को देखते हुए सेटिंग गेटिंग का फार्मूला रहेगा, ऐसा संभव नहीं लगता। बहरहाल, पुष्कर के दिल्ली पहुंचने की खबर सुनते ही कई दावेदारों की धड़कनें बढ़ गई है।
लोकसभा का यह चुनाव धामी के लिए खुद का कद और बढ़ाने का एक अच्छा मौका है। वे उत्तराखंड में भाजपा की अपेक्षाकृत मजबूत होने का लाभ भी उठा सकते हैं। उनके पक्ष में एक बात यह भी जाती है कि विपक्षी कांग्रेस पार्टी में कद्दावर नेताओं की कमी दिखती है। आपकी खींचतान और मनभेद के चलते वहां कोई जोश भी नहीं दिख रहा। यही नहीं, कुछ लोग तो पाला बदलने की तैयारी में भी है। बस मौका मिलने भर की देर है। जबकि पुष्कर सिंह धामी समान नागरिक संहिता विधेयक पास कर पहले ही देश में पहले स्थान पर आ चुके हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल विरोधी कानून से भी वह सुर्खियों में रहे। प्रधानमंत्री गृह मंत्री की गुड बुक वाले मुख्यमंत्री धामी की राय से ही राज्य के प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी, ऐसा माना जा रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड की 5 सीटों पर 55 दावेदारों की सूची कल ही दिल्ली भेजी गई थी। अब हाई कमान और मुख्यमंत्री के बीच होने वाले इस मंथन में किसे अमृत मिलेगा और किसे विष, यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल यू पी के बाद राजस्थान और मध्य प्रदेश को देखते हुए कुछ नए चेहरों को प्राथमिकता दिए जाने के आसार हैं।

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