सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव का विजेता आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को घोषित किया है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के रिटर्निंग ऑफ़िसर अनिल मसीह को कारण बताओ नोटिस दिया है. अनिल मसीह पर आरोप हैं कि उन्होंने आम उम्मीदवार को मिले आठ वोटों के साथ छेड़छाड़ की थी.

मसीह को इस नोटिस का तीन हफ़्तों के अंदर जवाब देना है.

आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को ‘लोकतंत्र की जीत’ बताया है. कुलदीप कुमार ने इसे ‘चंडीगढ़ के लोगों की जीत’ कहा है.

इसके पहले सोमवार को कोर्ट ने आदेश दिया था कि मंगलवार को होने वाली सुनवाई के दौरान सारे बैलट पेपर पेश किए जाएं. कोर्ट ने वीडियो भी मंगाए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजयी घोषित किया. 30 जनवरी को मत गणना में वो हार गए थे. इसी के बाद उन्होंने पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

सुप्रीम कोर्ट के वकील शादान फ़रासत ने अदालत के बाहर आने के बाद पत्रकारों को बताया, “प्रिज़ाइडिंग ऑफ़िसर को झूठ बोलने के मामले में नोटिस दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि बैलट पेपर से छेड़छाड़ करने के लिए, उनपर आईपीसी की धाराओं के तहत कार्यवाही शुरू की जाए. “

चीफ़ जस्टिस ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “ये कोर्ट कर्तव्य से बंधी है, ख़ासकर आर्टिकल 142 में लिखित ड्यूटी जिसमें पूरा न्याय करने की बात कही गई है. चुनावी लोकतंत्र की प्रक्रिया को छल से नाकाम नहीं किया जा सकता है. ”

चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “रिजल्ट शीट से ये जाहिर है कि याचिकाकर्ता को 12 वोट मिले. आठ वोटों को अवैध बताया गया. ऐसा ग़लत तरीके से किया गया. अवैध वोट में से हर एक वैध तरीके से याचिकाकर्ता के पक्ष में डाला गया था.”

उन्होंने कहा, “हमारी राय है कि चुनावी प्रक्रिया को पूरी तरह से अलग कर देना सही नहीं होगा. जबकि इकलौती कमजोरी उस चरण में मिली जब पीठाधीन अधिकारी ने वोटों की गिनती की. (मेयर चुनाव से जुड़ी) पूरी प्रक्रिया को परे कर देना मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धातों की क्षति में इजाफा करना होगा.”

आम आदमी पार्टी ने क्या कहा

आम आदमी पार्टी के चंडीगढ़ के प्रमुख सनी अहलूवालिया ने अदालत के फ़ैसले को लोकतंत्र की जीत बताया है.

उन्होंने पत्रकारों को बताया, “इस सारे घटनाक्रम के पीछे कोई और निर्माता-निर्देशक है या नहीं या किसने फंडिंग की थी…ये सब जांच का विषय है. इस मामले में जिन लोगों ने भी गड़बड़ी की है उन्हें सज़ा ज़रूर होगी. एक बात तो साफ़ हो गई है कि डेमोक्रेसी इस देश में अब भी ज़िंदा है.”

वहीं, चुनाव में विजेता घोषित किए गए कुलदीप कुमार ने भी फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

कुलदीप कुमार ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “मैं माननीय अदालत का धन्यवाद करता हूँ. आज चंडीगढ़ वासियों की जीत हुई है. ऐसा नहीं है कि बीजेपी को हराया नहीं जा सकता, उसे बिल्कुल हरा सकते हैं. अगर हम इकट्ठे होकर लड़ेंगे तो इन्हें हर जगह हराएंगे.”

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने कोर्ट का फैसले का स्वागत करते हुए एक्स पर लिखा,”आख़िरकार सत्य की जीत हुई. चंडीगढ़ में मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं. पीठासीन अधिकारी की ओर से खारिज किए गए आठ वोटों को सही ठहराते हुए सीजेआई ने आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को मेयर घोषित किया.”

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘संविधान और लोकतंत्र की जीत’ बताया है.

उन्होंने एक अन्य पोस्ट में लिखा ,”कुलदीप कुमार एक गरीब घर का लड़का है. इंडिया गठबंधन की ओर से चंडीगढ़ का मेयर बनने पर बहुत बहुत बधाई. ये केवल भारतीय जनतंत्र और माननीय सुप्रीम कोर्ट की वजह से संभव हुआ. हमें किसी भी हालत में अपने जनतंत्र और स्वायत्त संस्थाओं की निष्पक्षता को बचाकर रखना है.

30 जनवरी को क्या हुआ था?

30 जनवरी को हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार मनोज सोनकर को जीता हुआ घोषित किया गया था.

इस नतीजे पर सवाल इसलिए खड़े हुए कि संख्याबल इंडिया गठबंधन यानी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साथ था.

चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 वोट हैं. 30 जनवरी को चुनाव के रिटर्निंग ऑफ़िसर ने बताया कि बीजेपी उम्मीदवार को 16 और आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले.

पीठासीन अधिकारी ने आठ वोटों को अमान्य घोषित कर दिया था.

30 जनवरी तक चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के पास 14 पार्षद थे. एक सांसद और शिरोमणि अकाली दल के एक पार्षद को मिलाकर उनके पास कुल 16 वोट थे.

वहीं आम आदमी पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में कुल 20 वोट थे. तब तक आम आदमी पार्टी के 13 पार्षद और कांग्रेस के सात पार्षद थे.

चुनाव प्रक्रिया से जुड़े जो वीडियो सामने आए उनमें दिखा कि पीठासीन अधिकारी मतपत्रों पर कुछ लिख रहे हैं.

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि पीठासीन अधिकारी ने ही मतपत्रों पर निशान बनाए, जिन्हें बाद में आमान्य क़रार दिया गया.

इसे लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह से सवाल पूछे.

विपक्षी दलों ने चुनाव नतीजे के विरोध में पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

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