हमीरपुर। धर्मांतरण कर आशीष से यूसुफ बन मुस्लिम युवती से निकाह करने वाले नायब तहसीलदार ने शिकायतकर्ता के पड़ोसी के चबूतरें की सीढि़यां तुड़वा प्रेमिका के दिल में जगह बना ली। उसके बाद नजदीकियां बढ़ते ही बात निकाह तक पहुंच गई। जिससे नायब तहसीलदार ने अपनी पत्नी व परिवार से दूरियां बना ली। वहीं सीढि़यां टूटने से खुन्नस खाए प्रेमिका के पड़ोसी द्वारा ही नायब तहसीलदार का नमाज पढ़ते फोटो सोशल मीडिया में डालने की चर्चा है।
मौदहा कस्बा के एक मोहल्ला निवासी महिला अपनी बेटी के साथ नायब तहसीलदार आशीष गुप्ता के पास शिकायत को पहुंची। जिसने पड़ोसी द्वारा चूबतरे पर सीढि़या बनाने का विरोध किया। इस पर नायब तहसीलदार ने पड़ोसी बाबू के चबूतरे की सीढि़यां नगर पालिका की टीम भिजवा तुड़वा दी। ऐसा करने पर नायब तहसीलदार ने शिकायतकर्ता की बेटी के दिल में जगह बना ली। दोनों में नजदीकियां बढ़ गईं और बात निकाह तक पहुंच गई।
इश्क में दीवानें हुए नायब तहसीलदार आशीष गुप्ता यूसुफ बन गए और अपनी पत्नी व परिवार से दूरियां बना ली। वहीं सीढि़या टूटने से परेशान बाबू ने नायब तहसीलदार की युवती से बढ़ती नजदीकियों को देख नजर रखना शुरू कर दिया। मस्जिद में नमाज पढ़ते फोटो खींचकर उसके वायरल करने की चर्चा है।
मतांतरण की चपेट में आने से बचा एक दारोगा
– नायब तहसीलदार का मामला सामने आने के बाद जांच में जुटी पुलिस को मौदहा कोतवाली में तैनात एक दारोगा के उसी परिवार की दूसरी युवती से संपर्क होने की बात सामने आई। जिसकी भनक लगते ही एसपी ने दारोगा का स्थानांतरण दूसरे थाने में कर दिया। जानकारी के अनुसार नायब तहसीलदार से निकाह करने वाली युवती की छोटी बहन से दारोगा संपर्क में था। इसके अलावा वहां संपर्क में रहने वाले एक लेखपाल का भी नाम सामने आ रहा है।
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वर्ष 2017 में कानूनगो के पद पर हुई थी ज्वाइनिंग
– धर्मांतरण करने वाले मौदहा में तैनात रहे नायब तहसीलदार आशीष गुप्ता ने वर्ष 2017 में राजस्व निरीक्षक (कानूनगो) के पद पर कानपुर देहात जिले में ज्वाइन किया था। एक जुलाई 2022 को प्रमोशन पर जनपद में ज्वाइन किया। जिसके बाद दो सितंबर 2023 को मौदहा में तैनाती मिली।
परिवार समेत भूतिगत हुई युवती
– नायब तहसीलदार पर दबाव बना निकाह करने की आरोपी मुस्लिम युवती परिवार समेत भूमिगत है। पिता ट्रक चालक है।
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निकाह के नियम
– मदरसा अनवारूलउलूम के प्रधानाचार्य मौलाना अताउर्रहमान ने निकाह की शर्तों के संबंध में बताया कि पहली शर्त यह है कि निकाह पढ़ाने वाले दोनों मुसलमान हों और इसके लिए निकाह पढ़ने वाले दूल्हा- दुल्हन बालिग हों। निकाह के लिए दोनों की सहमति हो व काजी, वकील गवाह के साथ शाहिद के सामने शादी का इकरार करें। मेहर की रकम निर्धारित हो और स्वीकार हो। साथ ही इसके लिए एक वकील, एक गवाह व उसका एक शाहिद होना भी जरूरी है। निकाहनामे कि किताब में दोनों के हस्ताक्षर होते हैं। इसके बाद निकाह का खुतबा होता है। यह इस्लामी तरीका है। मेहर की शर्त यह है कि वह शौहर को फौरन ही नकद या जिस पर दोनों की सहमति हो देगा। यदि नकद नहीं देता तो इसका देने का वादा करेगा। बाद में इन्हें एक काजी की तरफ से रसीद भी दी जाती है