अयोध्या में रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर कुछ तस्वीरों ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। कुछ दिन पहले ही शादी के बंधन में बंधे आलिया भट्‌ट और रणबीर कपूर, कैटरीना कैफ और विकी कौशल, माधुरी दीक्षित और उनके पति श्रीराम नेने, रणदीप हुड्‌डा और उनकी पत्नी लिन लैशराम समारोह में साथ नजर आए।

इनके अलावा देश की कई जाने-मानी हस्तियां भी इस मौके पर अपने जीवनसाथी के साथ पहुंचीं। भारतीय परंपरा में धार्मिक और शुभ कार्यों में अपने लाइफ पार्टनर के साथ ही शरीक होने की समझाइश दी गई है।

रिलेशनशिप और ह्यूमन बिहेवियर पर साइकोलॉजी की गहन रिसर्च करने वाले बताते हैं कि पार्टनर के साथ पूजा-पाठ करने या मंदिर जाकर ध्यान लगाने से रिश्ता मजबूत होता है। जब दो लोगों के भावनाओं के साथ उनके धार्मिक विचार भी एक जैसे होते हैं तो इससे रिश्ता प्रगाढ़ होता है।

आज ‘रिलेशनशिप कॉलम’ में हम रिश्ते के धार्मिक और आध्यात्मिक पहलुओं की बात करेंगे। यह भी जानेंगे कि रिश्ते की मजबूती और मधुरता में धार्मिक स्थल किस तरह की मदद कर सकते हैं।

पार्टनर के साथ पूजा करना या मंदिर जाना कैंडल लाइट डिनर से ज्यादा फायदेमंद

बहुत पुरानी बात नहीं है, जब शादी-ब्याह के लिए लड़का या लड़की देखने की सबसे मुफीद जगह मंदिर ही मानी जाती थी। रिश्ते की नई शुरूआत करनी हो या रिश्ता किसी अहम मोड़ से गुजर रहा हो, हर मौके पर लोग मंदिर जाते थे।

साल 2019 में ‘यूरोपियन जर्नल ऑफ मेडिकल हेल्थ’ में एक रिसर्च छपी। रिसर्च का टाइटल था- ‘THE ROLE OF RELIGIOSITY IN INTIMATE RELATIONSHIPS’ (आत्मिक संबंधों में धर्म की भूमिका)।

इस रिसर्च में पाया गया कि समान धार्मिक आस्था और विचार शादीशुदा या रोमांटिक रिश्ते में भी ग्लू का काम कर सकता है। मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी धार्मिक स्थल पर साथ जाने से कपल्स की बॉन्डिंग मजबूत होती है। धर्म लोगों के रिश्तों को जोड़ने वाला एक मजबूत तार है। कई बार यह रोमांटिक कैंडल लाइट डिनर से भी ज्यादा फायदेमंद होता है।

सात फेरों का वचन- ‘अकेले नहीं करेंगे तीर्थयात्रा, किया तो फल नहीं’

रिश्ते में धर्म के इस एंगल से हमारे पूर्वज भी परिचित थे। शायद यही वजह है कि सात फेरों के सात वचनों में एक वचन यह भी है कि शादी के बाद पति या पत्नी में से कोई भी किसी भी तरह के धार्मिक कार्य में अकेले शामिल नहीं होगा और न ही अकेले तीर्थयात्रा पर जाएगा। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे न तो पूजा का फल मिलेगा और न ही तीर्थयात्रा का। रिश्ते में मनमुटाव की आशंका अलग होगी।

धार्मिक स्थल रिश्ते को कैसे करते हैं मजबूत

अगर रिश्ते को गहरा करना चाहते हैं तो धार्मिक स्थलों पर साथ जाना कॉफी हाउस, रेस्टोरेंट और पार्क साथ जाने से कहीं ज्यादा फायदेमंद हैं। इस बारे में ‘अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन’ की एक रिपोर्ट बताती है कि साथ में किसी भी तरह की एक्टिविटी करना रिश्ते के लिए फायदेमंद है।

लेकिन अगर वह एक्टिविटी रिलीजियस हुई तो उसका अलग फायदा होता है क्योंकि धार्मिक स्थलों पर पार्टनर प्योरेस्ट माइंड की स्थिति में होते हैं। किसी धार्मिक जगह, देवता, धार्मिक किताब, गुरु या संस्कृति के प्रति साझी आस्था उन्हें बॉन्डिंग का एहसास कराती है। यही एहसास दोनों के रिश्ते को मजबूत बनाता है।

किसी भी धर्म के हों, ईश्वर ही हैं सबसे बेहतर मैच मेकर

अंग्रेजी में एक कहावत है- ‘प्रे टुगेदर, स्टे टुगेदर’। यह कहावत चर्च जाने वाले जोड़ों में काफी लोकप्रिय भी है। UGA सेंटर फॉर फैमिली रिसर्च की एक स्टडी की राइटर विक्टोरिया किंग बताती हैं कि धर्म चाहे कोई भी हो, ईश्वर में साझा विश्वास रिश्ते के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। यही वजह है कि प्यार और रोमांटिक रिश्तों में भी लवर्स ईश्वर के नाम की कसमें खाते हैं। शादी भी ईश्वर को साक्षी मानकर ही होती है।

वासना और स्वार्थ के खात्मे से शुरू होता है आध्यात्मिक प्रेम

रिलेशनशिप कोच डॉ. अंजलि बताती हैं कि किसी भी रिश्ते के कई आयाम होते हैं। सबसे पहले शरीर का आकर्षण होता है। फिर किसी की आदतों पर मन फिदा होता है। लेकिन इसका सबसे आखिरी लेवल बौद्धिक स्तर का प्रेम है। जहां फिजिकल अट्रैक्शन और मुनाफे-घाटे की सोच खत्म हो जाती है। यहां पहुंचकर आध्यात्मिक प्रेम की शुरुआत होती है।

इस लेवल तक पहुंचने के लिए धर्म-अध्यात्म या मेडिटेशन सही रास्ता हो सकता है क्योंकि दुनिया के सभी धर्म आपसी प्रेम, सद्भावना और साथ का ही संदेश देते हैं। ऐसे में पार्टनर्स साथ में किसी भी रिलीजियस एक्टिविटी में हिस्सा लें तो उनका रिश्ता धीरे-धीरे आध्यात्मिक प्रेम यानी प्रेम की सबसे ऊंची कसौटी के करीब पहुंच जाता है।

भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या का श्रीराममंदिर आम लोगों के दर्शन के लिए खुल चुका है। इसके अलावा भी भारत के हरेक शहर में अपने-अपने महत्व के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च मौजूद हैं। कई रिसर्च कॉमन बिलीफ को रिश्ते का बॉन्डिंग एलिमेंट बताती हैं। ऐसे में नए रिश्ते की शुरुआत हो या पुराने में जान डालनी हो, यह मौका अपने जीवनसाथी के साथ किसी धार्मिक स्थल पर जाने के लिए मुफीद हो सकता है।

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