भारत और ताइवान अब दोस्ती के नए मुकाम पर पहुंच रहे हैं। दोनों देशों के बीच एक अहम समझौता होने से भारतीय श्रमिकों के लिए अब ताइवान का आवागमन करना और वहां रहना आसान हो जाएगा। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और आपसी रिश्ते को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। ताइवान में भारत की मजबूत होती पकड़ से चीन परेशान है।

चीन ने मालदीव में अपनी पैठ जमानी शुरू की तो भारत दुश्मन ड्रैगन के बिल्कुल घर तक ही पहुंच गया। भारत ने ताइवान के साथ अपनी दोस्ती को और भी अधिक मजबूत बनाने के लिए द्विपक्षीय संबंधों को लगातार सहज, सरल और भरोसेमंद बनाता जा रहा है। इस दिशा में भारत और ताइवान ने अपने कदम काफी आगे बढ़ा दिया है। इससे चीन परेशान हो उठा है। भारत और ताइवान ने शुक्रवार को प्रवासन और आवागमन से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे स्व-शासित द्वीप में विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय श्रमिकों को रोजगार की सुविधा मिलेगी।

इससे समझौते से भारतीय श्रमिकों के लिए ताइवान में आना-जाना और रहना आसान हो जाएगा। इसके दोनों देशों के बीच व्यापारिक और मैत्रीयपूर्ण संबंध और अधिक प्रगाढ़ होंगे। रणनीतिक लिहाज से भी ताइवान के साथ भारत की बढ़ती दोस्ती काफी अहम है। यह पीएम मोदी की बड़ी कूटनीति का हिस्सा है। ताइवान में भारत की मौजूदगी का दायरा बढ़ने से चीनी खेमे में अभी से खलबली मचने लगी है। बता दें कि चीन इन दिनों मालदीव के साथ अपनी नजदीकी बढ़ा रहा है, जो द्वीप कभी भारत के करीब हुआ करता था। मगर मालदीव में सत्ता बदलते ही मौजूदा राष्ट्रपति मो. मुइज्जू का चीन से प्रेम हो गया। इसके बाद भारत ने बदले में ताइवान में अपनी पैठ गहरी करनी शुरू कर दी।

भारत – ताइवान में अहम समझौता

भारत-ताइपे एसोसिएशन (आईटीए) के महानिदेशक मनहरसिंह लक्ष्मणभाई यादव और नयी दिल्ली में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र के प्रमुख बाउशुआन गेर द्वारा डिजिटल माध्यम से किये गये समारोह में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंधों को भी मजबूती मिलेगी। ताइवान के श्रम मंत्रालय ने कहा कि द्विपक्षीय श्रम सहयोग संबंधों को मजबूत करने के लिए ताइवान और भारत ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों पक्ष पिछले कई वर्षों से इस समझौते पर चर्चा कर रहे थे।

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