पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर कल्पवासियों के साथ 9.8 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

योगी सरकार के निर्देश पर कल्पवासियों की सहूलियत के लिए माघ मेला प्रशासन ने उठाए कदम

कड़ाके की सर्दी को देखते हुए कल्पवासियों के सभी शिविरो में अलाव की हुई व्यवस्था

गंगा के निकट के शिविरों में मिली कल्पवासियों को जग

दिनेश सिंह। प्रयागराज ।

कुंभ नगरी प्रयागराज के त्रिवेणी तट पर लगे आस्था के सबसे बड़े वार्षिक समागम माघ मेले का दूसरा स्नान पर्व पौष पूर्णिमा सकुशल सम्पन्न हो गया ।
इस पर्व के साथ ही त्रिवेणी के तट पर माघ के महीने में एक माह तक तंबुओं में रहकर कठिन तप और साधना करने वाले कल्पवासियों का भी मेला क्षेत्र में प्रवेश हो गया । प्रदेश की योगी सरकार ने इस बार पूरा प्रयास किया है कि माघ मेला के इन श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में कोई दिक्कत न होने पाए । स्वच्छता, सर्दी से निपटने के साधनों से लेकर उनकी हर सहूलियत के लिए खास इंतजाम किए गए हैं।

महाकुंभ के साथ माघ मेला – 2024 को भी दिव्य और भव्य बनाने के लिए योगी सरकार संकल्पित है। इसके लिए स्नान पर्वों में संगम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के अलावा त्रिवेणी के किनारे एक महीने तक रहकर तप – साधना का कठिन संकल्प लेकर कल्पवास करने पहुंचे कल्पवासियों की सुविधाओं का भी मेला प्रशासन ने पूरा ख्याल रखा है।
पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही प्रयागराज के संगम तट पर त्रिवेणी की रेत पर एक महीने तक तंबुओं में रहकर कठिन साधना करने के लिए आने वाले कल्पवासियों की दुनिया भी यहां बस गई है। ये कल्पवासी प्रतिदिन सुबह गंगा में स्नान कर संगम की रेत पर कल्पवास करते हैं ।
माघ मेला अधिकारी दयानंद प्रसाद के मुताबिक इस बार माघ मेला में 2 लाख से अधिक कल्पवासियों के कल्पवास की व्यवस्था की गई है । मेला क्षेत्र में मूल रूप से कल्पवास करने आए श्रद्धालुओं को गंगा के तटों के पास ही तंबुओं का आबंटन किया गया है ताकि सुबह प्रतिदिन गंगा स्नान के लिए इन्हे इनकी अवस्था को देखते हुए दूर न जाना पड़े ।
उत्तर भारत में कड़ाके की शीत लहरी चल रही है इसे देखते हुए माघ मेला क्षेत्र में सभी कल्पवासियों के शिविर के बाहर 24 घंटे अलाव जलाने की व्यवस्था भी की गई है । गंगा के किनारे कूड़े से मुक्त रहें इसके लिए गंगा किनारे गीले कचरे और प्लास्टिक के लिए कलर कोड के डस्टबिन रखे गए हैं। कल्पवासियों के शिविर में भी स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा गया है ।कल्पवासियों के शिविर के बाहर भी कलर कोड वाले डस्टबिन रखे गए हैं।
मध्यप्रदेश के सीधी जिले से कल्पवास करने आए सर्वेश्वर मिश्रा बताते हैं कि उनका कल्पवास का यह ग्यारहवां साल है । कल्पवासियों के शिविरों में पहली बार स्वच्छता को लेकर इतना जोर दिया गया है।
प्रतापगढ़ से कल्पवास करने
ब्रजभूषण पांडे कहते हैं कि वैसे तो कल्पवासी यहां किसी सुविधा की उम्मीद लेकर नही आते। संयम और नियम के साथ पूजा पाठ और जप -तप के साथ संतों की वाणी का श्रवण ही उनका उद्देश्य रहता है लेकिन इस बार कल्पवासियों के शिविरों को गंगा के घाट के नजदीक स्थान देकर प्रशासन ने अच्छा काम किया है ।

इधर माघ मेले का दूसरा स्नान पर्व पौष पूर्णिमा का सकुशल समापन हो गया। मेला प्रशासन का अनुमान है कि 9.8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने इस स्नान पर्व पर त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई है । कल्पवासी भी मेला क्षेत्र में स्नान पर्व के साथ वास करने लगे हैं इसलिए मेला प्रशासन का पूरा ध्यान इन पर होगा।

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