प्रयागराज. पूरा उत्तर भारत इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है. आए दिन हीट स्ट्रोक एवं गर्मी के कारण मौते हो रही हैं.
सूरज की तेज तपिश के कारण हमारे पूरे वातावरण का तापमान सामान्य से कई डिग्री सेल्सियस ज्यादा बना हुआ है।
शहर के वरिष्ठ क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट एवं एक्युरा क्रिटिकल केयर अस्पताल के निदेशक डॉ मनीष केसरी ने बताया कि हमारे शरीर के अंदर एक थर्मो रेगुलेटरी सिस्टम (हाइपोथैलेमस) होता है जो शरीर के तापमान को एक निश्चित रेंज में रखने का काम करता है। यदि वातावरण का तापमान बहुत ज्यादा है और हम लंबे समय तक इस बढ़े हुए तापमान में रहते हैं तो प्रारंभ में शरीर पसीना बनाकर एवं अन्य माध्यम से तापमान को रेगुलेट करने की कोशिश करता है लेकिन एक समय के बाद रेगुलेशन की यह प्रक्रिया विफल हो जाती है और हमारे शरीर का तापमान बढ़ने लगता है।
यदि शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा बना हुआ है तो हम कहते हैं कि हमें लू लग गई है और यही तापमान यदि 104 डिग्री या उससे भी ज्यादा हो जाए तो प्रायः इसे हीट स्ट्रोक का नाम दिया जाता है।
लू लगने पर सामान्यतः
शरीर का तापमान बढ़ जाना, बार-बार प्यास लगना, सिर में दर्द तेज दर्द होना, हृदय की गति का तेज हो जाना, शरीर पर लाल चकत्ते हो जाना, बार-बार पेशाब का होना,
शरीर में जकड़न का हो जाना, चक्कर आना,
जी मिचलाना, घबराहट होना अथवा बेहोशी की हालत हो जाना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

लू से बचाव के उपाय
इस मौसम में खुद को हाइड्रेट रखने के लिए पानी, नारियल का पानी, ठंडी शिकंजी अथवा ओआरस का घोल समय-समय पर जरूर लेते रहें।
ताजे फलों का सेवन भी लाभकारी होता है।
अपनी दिनचर्या में आवश्यक बदलाव करके इस वातावरण से बचा जा सकता है।
बहुत आवश्यक कार्य हो तभी दोपहर में बाहर निकले अन्यथा घर या ऑफिस में ही बने रहें एवं बाहर निकलने से परहेज करें।
बाहर निकलते समय छाता एवं पानी की बॉटल जरूर अपने साथ रखें।
एसी से निकलकर तुरंत गरम वातावरण में जाने से बचें।
धूप से आकर फ्रिज का ठंडा पानी पीने से बचें।
यदि बुखार है अथवा शरीर का तापमान बढ़ा हुआ लग रहा है तो ठंडे पानी से स्नान अथवा ठंडे वातावरण में रहना लाभकारी रहेगा।

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