लखनऊ, सन्डे मेल ब्यूरो
11 माह के ठेके पर रखे गए पंचायत सहायकों को भुगतान का काम सौंपे जाने पर यूपी के प्रधान भड़क गए हैं. लोकसभा चुनाव के बीच में ही उत्तर प्रदेश के पंचायती राज निदेशक अटल राय ने यह आदेश जारी कर दिया. प्रधान संघ के साथ भी कोई बात नहीं की गई. लिहाजा प्रधान भड़के हुए हैं. इस आदेश को वापस करने की मांग कर रहे हैं. वहीं निदेशक कहने में जुटे हैं आदेश पारदर्शी व्यवस्था के लिए जारी किया गया है.


लोक सभा चुनाव 2024 का दूसरा चरण ही पूरा हो पाया था कि पञ्चायती राज निदेशक अटल राय ने एक आदेश जारी किया. इस आदेश में कहा गया कि अब ग्राम पंचायत में तैनात पंचायत सहायक ही किसी भी तरह का भुगतान और लेखा जोखा का काम करेंगे. पंचायत भवन में लगे कंप्यूटर के सामने बैठकर यह काम होगा. इस आदेश का विरोध शुरू हो गया. पंचायत के सहायक संविदा कर्मी होते हैं. ग्राम प्रधान संघ ने यही मुद्दा बनाकर इस आदेश को वापस लिए जाने की मांग शुरू कर दी है.
सैकड़ों प्रधानों और ग्राम समिति के सदस्यों ने पंचायती राज निदेशक के फैसले का विरोध शुरू कर दिया है. पहला बड़ा विरोध सहारनपुर में हुआ. जिलाधिकारी कार्यालय के सामने जिले सैकड़ों प्रधान इकट्ठा हुए और नया
आदेश वापस करने की मांग की.


अखिल भारत पंचायत परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक जादौन ने ‘संडे मेल’ से कहा कि दो चरण का चुनाव हुआ था और इस बीच पंचायती राज निदेशक अटल कुमार राय ने यह आदेश जारी कर दिया. यह ठीक नहीं है.
अशोक जादौन का मानना है कि यह
फैसला ग्राम पंचायत के कामकाज में बाधा पैदा करेगा. उनका कहना है कि यह जिम्मेदारी का काम है और ज्यादातर पंचायत सहायक कंप्यूटर ऑपरेट करना नहीं जानते हैं. अभी यह काम सचिव करता है. 11 महीने की संविदा पर रखे गए पंचायत सहायक अगर किसी तरह की मनमानी करेंगे तो उनसे वसूली कैसे होगी? उनको इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है? और वह प्रधानों के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप लगने लगेंगे.इसीलिए इस आदेश को वापस करने की मांग की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर ऐसी ही इच्छा रखती है तो फिर उसे कंप्यूटर की दक्षता वाले युवकों की स्थाई भर्ती शुरू करनी चाहिए.
इस मामले में संडे मेल से बात करते हुए पंचायती राज निदेशक अटल राय ने कहा कि यह व्यवस्था पंचायत के कामकाज को सक्रिय और क्रियाशील करने के लिए लागू किया जा रहा है.प्रदेश में 5000 करोड रुपए खर्च करके 33000 ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण किया गया है. इनमें कंप्यूटर लगाए गए हैं. ग्राम सचिवालय में कंप्यूटर, प्रिंटर, इंटरनेट, कुर्सी मेज की व्यवस्था की गई है. इन्हें जन सेवा केंद्र के रूप में स्थापित करने की कार्रवाई चल रही है. इन केंद्रों पर 243 जन सेवाओं को प्रदान किए जाने की योजना है. इसी उद्देश्य से पंचायत में आई-ग्राम स्वराज तथा पीएफएमएस के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था की गई है. पंचायत गेटवे पोर्टल की व्यवस्था के जरिए निगरानी का काम शुरू किया है.यह पोर्टल ग्राम सचिवालय में रखे कंप्यूटर में इंस्टाल करवाया गया है. ग्राम पंचायत द्वारा किसी भी तरह के भुगतान, कामकाज की जानकारी इसी माध्यम से लिए और दिए जाने की व्यवस्था की गई है.
पंचायत गेटवे पोर्टल पर जीपीएस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीक भी शामिल है. पंचायत सहायक के चेहरे का स्कैन करके पंचायत सचिवालय के प्रांगण में ही भुगतान की व्यवस्था बनाई गई है.इससे सर्वाधिक लाभ तात्कालिक रूप से मनरेगा के मजदूरों को मिलेगा ग्राम प्रधानों को इस भ्रम में नहीं आना चाहिए कि यह पंचायत की स्वतंत्रता और विकेंद्रीकरण को प्रभावित करने की कोशिश है.
पंचायती राज निदेशक ने कहा कि वह ग्राम प्रधानों से ग्राम प्रधान संगठनों से लगातार संपर्क में है और उन्हें यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह प्रयोग पारदर्शिता के लिए है.
उधर अखिल भारतीय पंचायत परिषद के अध्यक्ष अशोक जादौन निदेशक अटल राय की इस बात से सहमत नहीं है. जादौन का कहना है की संविदा कर्मी 11 माह के अनुबंध पर काम करते हैं.किसी भी तरह की मनमानी और प्रधान की अवज्ञा की हालत में अगर कोई गड़बड़ होती है तो वसूली कैसे की जाएगी? पंचायत सहायकों का कार्यकाल इसी साल दिसंबर में समाप्त हो रहा है. और नए लोगों को अनुबन्ध पर रखा जाएगा.


बहरहाल पंचायती राज निदेशक और ग्राम प्रधान संघ के बीच अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है अटल राय अपनी बात पर खड़े हुए हैं और ग्राम प्रधान विरोध पर आमादा हैं.

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