प्रयागराज, 3 अगस्त 2024: एम.एल.एन. मेडिकल कॉलेज में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग द्वारा “गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस इन रिसर्च” विषय पर एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण सत्र का सफल आयोजन किया गया। इस सत्र का आयोजन विभागाध्यक्ष एवं कॉलेज एथिकल कमेटी की समन्वयक, डॉ. अमृता चौरसिया द्वारा किया गया।

इस प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन प्रधानाचार्य डॉ. वत्सला मिश्रा मैडम द्वारा किया गया। डॉ. मिश्रा ने उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की महत्ता पर बल दिया और बताया कि ये कार्यक्रम छात्रों और चिकित्सकों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

प्रशिक्षण सत्र के दौरान अभिनव शुक्ला ने गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस (GCP) के बारे में विस्तृत जानकारी दी। GCP चिकित्सा अनुसंधान के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय नैतिक और वैज्ञानिक गुणवत्ता मानक है, जो मानव प्रतिभागियों पर किए गए क्लिनिकल परीक्षणों के डिजाइन, संचालन, प्रदर्शन, निगरानी, ऑडिट, रिकॉर्डिंग, विश्लेषण और रिपोर्टिंग को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि अनुसंधान नैतिक रूप से और वैज्ञानिक रूप से सटीक तरीके से किया जाए, और प्रतिभागियों की सुरक्षा, अधिकार और कल्याण की रक्षा की जाए।

गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस (GCP)

  1. नैतिकता और सहमति: शोध में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों से सूचित सहमति (इंफॉर्म्ड कंसेंट) प्राप्त करना अनिवार्य है, और उनका अधिकार और कल्याण सर्वोपरि है।
  2. प्रोटोकॉल और योजना: अनुसंधान एक स्पष्ट और विस्तृत प्रोटोकॉल के अनुसार होना चाहिए, जो अनुसंधान के उद्देश्य, तरीके और अपेक्षित परिणामों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता हो।
  3. निगरानी और ऑडिट: अनुसंधान प्रक्रिया की नियमित निगरानी और ऑडिट की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुसंधान GCP के मानकों के अनुसार हो रहा है।
  4. डेटा की सटीकता और सत्यता: अनुसंधान डेटा का रिकॉर्ड सटीक, पूर्ण और सत्यापन योग्य होना चाहिए, और इसे सुरक्षित तरीके से संग्रहित किया जाना चाहिए।
  5. प्रतिभागियों की सुरक्षा: अनुसंधान के दौरान प्रतिभागियों की सुरक्षा और कल्याण की लगातार निगरानी की जानी चाहिए, और यदि किसी प्रतिभागी के स्वास्थ्य को खतरा होता है, तो तुरंत उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
  6. गोपनीयता: प्रतिभागियों की व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता बनाए रखी जानी चाहिए और इसे केवल अनुसंधान उद्देश्यों के लिए ही उपयोग किया जाना चाहिए।

कुमुद रंजन ने संस्थागत नैतिक समिति (इंस्टीट्यूशनल एथिकल कमेटी) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने समिति की भूमिका, संरचना और कार्यप्रणाली के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट किया। संस्थागत नैतिक समिति का मुख्य उद्देश्य अनुसंधान परियोजनाओं की नैतिकता सुनिश्चित करना है। यह समिति मानव प्रतिभागियों पर किए जा रहे अनुसंधानों की समीक्षा और अनुमोदन करती है ताकि प्रतिभागियों के अधिकार, सुरक्षा और कल्याण की रक्षा की जा सके। इसके साथ ही, यह समिति यह सुनिश्चित करती है कि अनुसंधान वैज्ञानिक और नैतिक मानकों के अनुरूप हो।

इस अवसर पर स्त्री एवम प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष,एथिकल कमेटी की सदस्य एवं प्रशिक्षण सत्र की आयोजक डॉ.अमृता चौरसिया ने सत्र के दौरान विभिन्न चिकित्सा विधियों, नैतिक मानदंडों और आधुनिक उपचार तकनीकों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण सत्र न केवल छात्रों के लिए बल्कि चिकित्सकों के लिए भी अत्यंत लाभकारी हैं,जो उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करते हैं।

इस अवसर पर कॉलेज के कई विभागों के विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ चिकित्सा शिक्षक भी उपस्थित थे। सभी ने इस कार्यक्रम की सराहना की और भविष्य में भी इस तरह के सत्रों के आयोजन की आवश्यकता पर जोर दिया।

एम.एल.एन. मेडिकल कॉलेज अपने उत्कृष्ट शैक्षणिक और चिकित्सकीय योगदान के लिए प्रसिद्ध है और इस तरह के आयोजन उस योगदान को और भी मजबूत बनाते हैं।

कार्यक्रम का संचालन डा०विधि सिंह ने किया।

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