अयोध्या में भव्य राम मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले मुख्य पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का शनिवार सुबह निधन हो गया है.

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले मुख्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है. आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित काफी समय से बीमार चल रहे थे. शनिवार सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर वाराणसी में उन्होंने आखिरी सांस ली. पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला. दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे. काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला. उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है.

कौन थे आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित

आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित 86 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. उनका दाह संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य मंदिर में भगवान श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गयी थी. आचार्य दीक्षित की गिनती काशी के वरिष्ठ विद्वानों में होती है. लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के रहने वाले थे, लेकिन कई पीढ़ियों से उनका परिवार काशी में रह रहा है. उनके पूर्वजों ने नागपुर और नासिक रियासतों में भी धार्मिक अनुष्ठान कराए था. लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजा पद्धति में सिद्धहस्त और वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य रहे थे.

सीएम योगी ने जताया शोक

लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा समेत कई नेताओं ने भी शोक जताया है. सीएम योगी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का गोलोक गमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है. संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे. प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके शिष्यों और अनुयायियों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!”

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने व्यक्त किया शोक

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक्स पर लिखा, ”काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का देवलोकगमन आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति एवं अथाह दुःख का क्षण है. संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे. अयोध्यापति प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिव्यात्मा को अपने परमधाम में स्थान और उनके शिष्यों व अनुयायियों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें.”

राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर शोक जताते हुए लिखा, ”सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित एवं सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के गोलोकवासी होने का दुखद समाचार मिला. प्रभु श्री राम जी, दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके शिष्यों को यह दुख सहने करने की शक्ति प्रदान करें.”

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जताया दुख

आचार्य लक्ष्मीकांत के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी दुख जताया है. उन्होंने लिखा, ”काशी के मूर्धन्य वैदिक विद्वान एवं अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, श्रद्धेय आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का ब्रह्मलीन होने का समाचार अत्यंत दुखद है. उनके देवलोकगमन से आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति हुई है. सनातन संस्कृति हेतु आपके द्वारा किए गए कार्यों के लिए सनातन समाज सदैव ऋणी रहेगाय. बाबा महाकाल पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें.”

विहिप नेता मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने पंडित लक्ष्मी कांत दीक्षित के निधन को राष्ट्रीय क्षति बताते हुए कहा श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला की प्राणप्रतिष्ठा कराने वाले वैदिक विद्वान ज्योतिष शास्त्र और भूमि शोधन के ख्यातिप्राप्त  तपस्वी पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित एक मृदुल भाषी और  धार्मिक,सामाजिक और वैदिक परंपराओं को जीवंत करने वाले थे  ऐसे महान मनीषी” का जाना दुखद और स्तब्ध करने वाला है.

विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा पंडित लक्ष्मी कांत दीक्षित का निधन वाराणसी में हुआ, वह जीवंत पर्यंत वैदिक और ज्योतिष शास्त्र के प्रति समर्पित रहे, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र पदाधिकारियों के आग्रह पर उन्होंने अपने वरिष्ठ  सहयोगी शिष्यों के साथ प्राण प्रतिष्ठा पूजन निर्विघ्न समपन्न कराया था. 

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