देहरादून। सरकार पर खनन में गड़बड़ी, 1500 करोड़ के राजस्व नुकसान, खनन कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के सभी आरोपों को नैनीताल हाईकोर्ट ने नकार दिया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने रवि शंकर जोशी के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।
जोशी के आरोप लगाने वाली रिट को नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने राजस्व की हानि का आरोप खनिज विभाग और सरकार पर लगाया था। बल्कि अपर सचिव इक़बाल अहमद ने जाँच में अधिसूचना 31 अक्टूबर 2017 और अधिसूचना 28 अक्टूबर 2021 से राज्य को राजस्व वृद्धि की बात कहीं हैं ।
नैनीताल हाईकोर्ट में रवि शंकर जोशी ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उत्तराखंड सरकार के 28 अक्टूबर 2021 के आदेश में रॉयल्टी की दरों को कम करके सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुँचाया जिससे खनन कारोबारियों को 1500 करोड़ों रूपये का लाभ पहुंचा हैं। रिट के साथ ही शासन को भी पत्र लिख कर खनन व्यापारियों को फायदा दिये जाने का आरोप लगाया था।
आरोप था कि इस आदेश से राज्य को 1500 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है। इस शिकायत की जांच अपर सचिव डा अहमद इकबाल से कराई गई। जांच शामिल किया गया। सरकार की जाँच रिपोर्ट में रॉयल्टी की एकरूपता का तथ्य सामने आया।
समिति ने मामले की हर स्तर पर जांच कि जिसमें कुछ भी गड़बड़ी नहीं मिली थी। इस पर असंतुष्ट रवि शंकर जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खट्टखटाया था जिसमें करीब एक साल बाद आये फैसले में किसी भी गड़बड़ी न होने की बात सामने आई हैं।1500 करोड़ के राजस्व नुकसान का कोई भी प्रमाण नहीं मिला। उल्टा साफ हुआ कि अधिसूचना 31 अक्टूबर 2017 और अधिसूचना 28 अक्टूबर 2021 से राज्य को राजस्व प्राप्ति की वृद्धि हुई। जांच समिति ने शिकायतकर्ता रविशंकर जोशी के आरोपों को निराधार, असत्य करार दिया। सरकार की ओर से अधिसूचना दिनांक 19 मई 2016 के द्वारा निर्धारित रॉयल्टी दरों में कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया। बल्कि बिक्री और अन्य करों मे एकरूपता और समानता लाने के उद्देश्य से शासन की अधिसूचना संख्या 96, दिनांक 20 जनवरी 2023 द्वारा उपखनिज की ब्रिक्री दरों, अन्य दरों की भिन्नता को समाप्त किया गया है।
मुख्य न्यायधीश ने किया रिट का निस्तारण
राज्य सरकार की ओर से जांच समिति की रिपोर्ट को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश ऋतू बाहरी और न्यायधीश राकेश थपलियाल के सामने रखा गया। 9 जुलाई 2024 को उच्च न्यायालय नैनीताल में हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी की याचिका को आधार हीन मानते हुए रिट को खारिज कर दिया। साफ हुआ कि किसी भी खनन कारोबारी को किसी भी प्रकार का फायदा नहीं पहुंचाया गया। कोर्ट ने भी धामी सरकार की पारदर्शी खनन नीति पर अपनी मुहर लगाई।